Author name: Jaindharm

जिनवाणी स्तुति – योगेन्द्र सागर जी

जय जिनवाणी माता, रख लाज हमारी, जय जिनवाणी २ आज सभा में मैया तोहे पुकारू २ आज सभा में तोहे पुकारू, जग की भाग्य विधाता ।। रख लाज हमारी, जय जिनवाणी ०० ।। आन के मेरे कंठ विराजो मैया २ आन के मेरे कंठ विराजो, स्वर सरगम की गाथा ।। रख लाज हमारी, जय जिनवाणी ०० ।। शाष्त्र ग्रंथो का बोध नहीं हैं मैया २ शाष्त्र ग्रंथो का बोध नहीं हैं, हमको कुछ नहीं आता ।। रख लाज हमारी, जय जिनवाणी ०० ।। योगेन्द्र सागर तुम्हे पुकारे मैया २ योगेन्द्र सागर तुम्हे पुकारे, तुमको शीश नवाता ।। रख लाज हमारी, जय जिनवाणी ०० ।। जय जिनवाणी माता, रख लाज हमारी । जय जिनवाणी माता ।।

मेरी भावना

जिसने राग-द्वेष कामादिक, जीते सब जग जान लिया सब जीवों को मोक्ष मार्ग का, निस्पृह हो उपदेश दिया, बुद्ध, वीर जिन, हरि, हर ब्रह्मा या उसको स्वाधीन कहो भक्ति-भाव से प्रेरित हो, यह चित्त उसी में लीन रहो विषयों की आशा नहीं जिनके, साम्य भाव धन रखते हैं निज-पर के हित साधन में, जो निशदिन …

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